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शनिवार, 28 जुलाई 2018

मजा तखन ने अबितै - बाल कविता

5.09 मजा तखन ने अबितै

गाछ-बिरिछपर पैसा फड़ितै
लेमनचूस केर लत्ती होइतै
वर्षामे जँ रसगुल्ला खसितै
सचमे मजा तखन ने अबितै

पक्कामे चक्का जँ होइतै
घर सड़कपर दौड़ैत रहितै
नानी गाम हमरा ल' चलितै
सचमे मजा तखन ने अबितै

सालो भरि जँ छुट्टी रहितै
पढ़ै-लिखै लए जँ नै कहितै
खेल खेलै लए संगी भेंटितै
सचमे मजा तखन ने अबितै

नीक-निकुत जँ भोजन होइतै
पप्पा सभ दिन जँ संगे रहितै
साँझ क' बाबा खिस्सा कहितै
सचमे मजा तखन ने अबितै

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