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मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

भुसकौलसँ घुरलाक बाद

* भुसकौलसँ घुरलाक बाद *
खण्ड-1

गीतक सागरमे भसियेलाक बाद
मिथिलाक ज्ञानक जादूगरक खेल देखलाक बाद
भरि रातिक सार्थक जगरनाक बाद
आँखि टुह टुह लाल भऽ गेल अछि
भाँगन नशा सन देह भासि रहल अछि
भीतर वा बाहरसँ बोखार हुलकी मारि रहल अछि
मुदा भाव, व्याकरण, साहित्यपर
एकर सुखाएलसँ लऽ कऽ हरियाएल ठाढ़िपर
चुहचुहाएल कुरीत आ कठुआएल रीतपर
गुम्मी लाधने समज, हेराएल आवाजपर
तानाशाहीकें फटकारैत गाँधीक विचारपर
अखबार आ लेखकक शब्दक शान चढ़ल धारपर
प्रवासीक घर बान्हल मिथिलाक संस्कारपर
सगर राति सार्थक चर्चाक झाँटमे नहेलाक बाद
थाकल मोन हरियर-हरियर भऽ गेल अछि
भुसकौलसँ घुरलाक बाद लागि रहल अछि, जे
जीब लेलौं एकटा सार्थक आ अद्वितिय जिनगी

खण्ड-2
इन्द्र देव छलथि हर्षित बहुते
देख कऽ प्रेमक अनुपम सरंजाम
वसुधा सेहो भीज गेल छल
भोरेसँ ठंढ़ाएल सगरो गाम
माटिक बाट आ कादोक आगमनसँ
किछु किछु आएल परेशानीक नाम
गम गम अँगन, चमकैत दलान
मीठगर पान, आ व्यंजन तमाम
घरबैयाक व्यवहार, विचारसँ
तिरपित भेल सभक मोनक धाम
एहन स्वागत नै देखने रहियै
जे देखलौं जा भुसकौल गाम

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