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शनिवार, 4 मई 2013

गोर लाग

बाल कविता-39
गोर लाग

बाबीकें गोर लाग, बाबाकें गोर लाग
नित भोर काकी-काकाकें गोर लाग
माएकें गोर लाग, बाबूकें गोर लाग
गुरुवर, पण्डित सब जेठकें गोर लाग
धरती संग दशो दिशाकें गोर लाग
आँखि मूनि प्रार्थना कऽ देवताकेँ गोर लाग
लागै जँ ठेस तोरासँ झट दऽ गोर लाग
ज्ञानक भीख माँगैत पोथी पतराकें गोर लाग
पोखरिकें गोर लाग, इनारकें गोर लाग
भोरे-भोर दोस आ दुसमनकें गोर लाग
भेटतौ आशीष, पौरुष बढ़िते चलि जेतौ
भोरे-भोर गौआँ-अनगौआँकें गोर लाग

अमित मिश्र

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