प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

मंगलवार, 4 जून 2013

फेसबुकिया फ्रेन्ड

विहनि कथा-42
फेसबुकिया फ्रेन्ड

"तोरा एहन मौगी नै देखलियै ।पतिसँ नुका कऽ रास रचाएत ।" केशवक जहर सन बोल सुनि कल्याणी बाजल " हँ हँ , हमहुँ तोरा एहन मरद नै देखलियै जे पत्नीकेँ छोड़ि जँहि-तँहि मुँह मारत ।
केशव आ ओकर कनियाँ कल्याणीमे बड़ाका-बड़की झगड़ा फँसि गेल छलै ।दुनू एक-दोसरकेँ चरित्रहीन साबित कऽ रहल छल ।असलमे पिछला एक सालसँ दुनू एक-दोसर संग गुप्त नामसँ फेसबुकपर चैटिंग करैत छल ।फेसबुकिया प्रेम दुनूमे जागल आ भेंट करबाक जोगार बैसाएल गेल ।जखन दुनू आमने-सामने आएल तँ पता चललै जे ओ फेसबुकिया फ्रेन्ड असलमे पति-पत्नी छल ।दुनूक भंडाफोड़ भऽ गेलै आ चरित्रहीनक दाग लागैत-लगबैत तलाक धरि पहुँच गेल दुनू ।दुनू सप्पत खेलक जे आब गलत नामसँ कतौ नै रहब ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें