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मंगलवार, 5 नवंबर 2013

भाइ-बहिनक प्रेम

भाइ-बहिनक प्रेम

भाइ-बहिनक प्रेमसँ बढ़ि कऽ, और नै कोनो प्रेम एतय
झरना सन बरिसय सुधा, रस भाइ-बहिनक प्रेम जतय
जँ भाइ जलधि तँ बहिन हिमालय, घरकेँ शीतल कऽ राखय
जँ भाइ बल तँ बहिन प्रेरणा, दुनू मिल भू, नभ नापय
जँ भाइ मेघ तँ बहिन पवन, सदिखन शुभ टा आनय
जँ भाइ तलवार तँ बहिन धार, समाजक रक्षा मिल कऽ करय
एक सूरज दोसर चान अछि, अस्ततित्व अपन दुनूक बनय
भाइ-बहिनमे अन्योनाश्रय संबंध कहू के नै जानय ?


"भरदुतिया" पावनिक हार्दिक शुभकामना

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