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गुरुवार, 7 नवंबर 2013

गाँधी जीक बानर तीन

बाल कविता-110
गाँधी जीक बानर तीन

असमंजसमे बितैए दिन
आबै छै नै कनियो नीन
पढ़लौं खिस्सा जे ओइ दिन
गाँधी जीक बानर तीन

एगो कहै छै चुप्पे रहि जो
गलत देख कऽ गुम्मे रहि जो
दोसर कहै आन्हरे बनि जो
तेसर कहै बहिरे बनि जो
यैह पढ़ि भेल मोन मलीन
गाँधी जीक बानर तीन

जँ गलत नै देखब, सूनब
बाजब नै तँ कोना बतायब ?
गलतीकेँ कहू कोना सुधारब ?
स्वस्थ समाज कोना बनायब ?
आनि दिअ ई उत्तर कीन
गाँधी जीक बानर तीन

अमित मिश्र

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