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शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

गजल-घोघ हुनकर उठल छलै

गजल-1.70

राति चन्ना उगल छलै की ने
घोघ हुनकर उठल छलै की ने

देश भरिमे सुखार पैसल छै
झील नैनक भरल छलै की ने

ने खसल तेल ने धुआँ उठलै
मोन ओकर जरल छलै की ने

साँझ धरि साँस उजरि गेलै यौ
प्रात नैना मिलल छलै की ने

जखन भेलै "अमित" घटे भेलै
लाभ अनकर जुटल छलै की ने

212-212-1222
फाइलुन-फाइलुन-मफाईलुन

अमित मिश्र

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