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शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

गजल- चमत्कार लगैए

गजल-2.

हमर गजल खूब बेकार लगैए
वा कलमे हमर धरदार लगैए

भीजल लागैत अछि आँखिक पिपनी
मनक धुआँ उठल धुड़झाड़ लगैए

मैथिल शोणित मुदा बाजब हिन्दी
निज घरमे जनि बलत्कार लगैए

नैन खुजल अछि मुदा गायब डिब्बा
लेखनमे बड चमत्कार लगैए

ठोरक मुस्की तँ डेराउन लागय
बोल मुदा चाशनी धार लगैए

लुबधल अछि पात बड गाछक बाहर
भीतरमे द्वन्द अतिचार लगैए

2112-2122-1122

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