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शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

बाल कविता- हमर देवी जी

बाल कविता-138
हमर देवी जी

बात बजै छथि बहुते सुनर हमर देवी जी
सब काजक छथि रखने हुनर हमर देवी जी

खुलिते इस्कूल सबसँ पहिने
देवी जी आबै छथि
साफ-सफाइ, व्यायाम-प्रार्थना
सब दिन ओ करबै छथि
भरि इस्कूलमे सबसँ प्रियगर हमर देवी जी

जोड़-घटाव, गुणा-भाग
भाषा धरि पढ़बै छथि
खिस्सा-पिहानी, गीत-पहेली
सबटा ओ सुनबै छथि
असान करबथि प्रश्न भरिगर हमर देवी जी

सब बच्चाकेँ खूब मानै छथि
ककरो नै मारै छथि
अन्तिम घण्टी खेल करै छथि
बच्चा संग खेलै छथि
संगे पकड़थि तितली पियर हमर देवी जी

अमित मिश्र

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