प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

छुटि गेलै बदमाशी


बाल कविता-160
छुटि गेलै बदमाशी

रामू खरहा गुल्लू गदहा
आगू नाथ ने पाछू पगहा
खेलै जा कऽ गाछी जी
खूब करै बदमाशी जी

भोरे भागय साझे आबय
ककरो कोनो बात ने मानय
खेलै खेल पचासी जी
खूब करै बदमाशी जी

पोथी केर मुँहों नै देखय
इस्कूल दिस जेबो नै करय
एक दिन चढ़लै फाँसी जी
छुटि गेलै बदमाशी जी

संगी सबसँ झगड़ा केलकै
दुनूकेँ सब खूब पिटलकै
गेलै आदति काशी  जी
छुटि गेलै बदमाशी जी

नै बदमशी नै हो रगड़ा
ककरोसँ कखनो नै झगड़ा
दोस्ती होइ बरहमासी जी
नै करब बदमाशी जी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें