प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

चरिपतिया-29-42

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रूप लगैए भाला अनमन
नैन दागैए गोली
माँतल सन लगैए सजनी
आबिते फगुआ होली

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होली होली होली एलै
बहुते रंग रंगोली एलै
ककरो टोपी कपड़ा एलै
ककरो बन्दुक गोली एलै

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अछि कवित्व, अछि ई कविता
अछि सिनेहीक बड जोर
ते तँ कागतपर उभरल अछि
मोनक सकल हिलोर

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चन्दा मन शीतल रहय
सूरज मनमे आगि
तारा मन दुहू बीच तेँ
भटकय राति कऽ जागि

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नाचय मोन मयूर जकाँ
गाबय रसगर गीत
वासंती परिधाना पहिरने
आबि रहल जनु मीत

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आँखिक भाषा पढ़ि लिअ
पढ़ि लिअ काँपैत ठोर
भूत भविष्य वर्तमान बताओत
करत भाव- विभोर

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लाल गालपर लाल अबीर
कऽ रहल अछि मेल
नैनहिँ संगे नैन मिला कऽ
खेली प्रीतक खेल

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सिया सन धीया नै भेटत
सगरो एहि संसारमे
ताहि लेल राम बिकै छथि
बिच्चहिँ हाट-बजारमे

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जनकक धीया रामक पत्नी
लव-कुशक ओ माय
एहन भगगर सीता तौयो
पड़लनि वन बौआय

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जनक नन्दनी जानकी
धरती फोड़ि कऽ एली
विपतिक बोझ एते भारी जे
धरतीमे चली गेली

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दू प्रेमक तन्नुक ताग आब
वियाहेसँ हेतै मजगूत
समाजक आशीष पाबि कऽ
जोड़ी बनत अजगूत

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गाम कतऽ अछि ताकि दिअ
नगर भेटैए बहुते ठाम
हेरा गेल संस्कार अपन सब
हेरा गेल अछि अपन नाम

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हियाक नस नमारि हम
कहुना प्रेम अटेने छी
अहाँ रहै छी गुमसुम तैयो
प्रीतक आश लगेने छी

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राधा-कृष्णक प्रेम अपन
मात्र समर्पण भाव
मुदा मिलन सम्भव नहि
कंशक छै प्रभाव










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