♤♤♤♤29♤♤♤♤♤
रूप लगैए भाला अनमन
नैन दागैए गोली
माँतल सन लगैए सजनी
आबिते फगुआ होली
♤♤♤♤30♤♤♤♤
होली होली होली एलै
बहुते रंग रंगोली एलै
ककरो टोपी कपड़ा एलै
ककरो बन्दुक गोली एलै
♤♤♤♤♤31♤♤♤
अछि कवित्व, अछि ई कविता
अछि सिनेहीक बड जोर
ते तँ कागतपर उभरल अछि
मोनक सकल हिलोर
♤♤♤♤♤32♤♤♤♤♤
चन्दा मन शीतल रहय
सूरज मनमे आगि
तारा मन दुहू बीच तेँ
भटकय राति कऽ जागि
♤♤♤♤33♤♤♤♤
नाचय मोन मयूर जकाँ
गाबय रसगर गीत
वासंती परिधाना पहिरने
आबि रहल जनु मीत
♤♤♤♤34♤♤♤♤
आँखिक भाषा पढ़ि लिअ
पढ़ि लिअ काँपैत ठोर
भूत भविष्य वर्तमान बताओत
करत भाव- विभोर
♤♤♤♤35♤♤♤♤
लाल गालपर लाल अबीर
कऽ रहल अछि मेल
नैनहिँ संगे नैन मिला कऽ
खेली प्रीतक खेल
♤♤♤♤36♤♤♤♤
सिया सन धीया नै भेटत
सगरो एहि संसारमे
ताहि लेल राम बिकै छथि
बिच्चहिँ हाट-बजारमे
♤♤♤37♤♤♤
जनकक धीया रामक पत्नी
लव-कुशक ओ माय
एहन भगगर सीता तौयो
पड़लनि वन बौआय
♤♤♤38♤♤♤
जनक नन्दनी जानकी
धरती फोड़ि कऽ एली
विपतिक बोझ एते भारी जे
धरतीमे चली गेली
♤♤♤♤39♤♤♤♤
दू प्रेमक तन्नुक ताग आब
वियाहेसँ हेतै मजगूत
समाजक आशीष पाबि कऽ
जोड़ी बनत अजगूत
♤♤♤40♤♤♤♤
गाम कतऽ अछि ताकि दिअ
नगर भेटैए बहुते ठाम
हेरा गेल संस्कार अपन सब
हेरा गेल अछि अपन नाम
♤♤♤♤♤41♤♤♤♤♤
हियाक नस नमारि हम
कहुना प्रेम अटेने छी
अहाँ रहै छी गुमसुम तैयो
प्रीतक आश लगेने छी
♤♤♤♤42♤♤♤♤
राधा-कृष्णक प्रेम अपन
मात्र समर्पण भाव
मुदा मिलन सम्भव नहि
कंशक छै प्रभाव
रूप लगैए भाला अनमन
नैन दागैए गोली
माँतल सन लगैए सजनी
आबिते फगुआ होली
♤♤♤♤30♤♤♤♤
होली होली होली एलै
बहुते रंग रंगोली एलै
ककरो टोपी कपड़ा एलै
ककरो बन्दुक गोली एलै
♤♤♤♤♤31♤♤♤
अछि कवित्व, अछि ई कविता
अछि सिनेहीक बड जोर
ते तँ कागतपर उभरल अछि
मोनक सकल हिलोर
♤♤♤♤♤32♤♤♤♤♤
चन्दा मन शीतल रहय
सूरज मनमे आगि
तारा मन दुहू बीच तेँ
भटकय राति कऽ जागि
♤♤♤♤33♤♤♤♤
नाचय मोन मयूर जकाँ
गाबय रसगर गीत
वासंती परिधाना पहिरने
आबि रहल जनु मीत
♤♤♤♤34♤♤♤♤
आँखिक भाषा पढ़ि लिअ
पढ़ि लिअ काँपैत ठोर
भूत भविष्य वर्तमान बताओत
करत भाव- विभोर
♤♤♤♤35♤♤♤♤
लाल गालपर लाल अबीर
कऽ रहल अछि मेल
नैनहिँ संगे नैन मिला कऽ
खेली प्रीतक खेल
♤♤♤♤36♤♤♤♤
सिया सन धीया नै भेटत
सगरो एहि संसारमे
ताहि लेल राम बिकै छथि
बिच्चहिँ हाट-बजारमे
♤♤♤37♤♤♤
जनकक धीया रामक पत्नी
लव-कुशक ओ माय
एहन भगगर सीता तौयो
पड़लनि वन बौआय
♤♤♤38♤♤♤
जनक नन्दनी जानकी
धरती फोड़ि कऽ एली
विपतिक बोझ एते भारी जे
धरतीमे चली गेली
♤♤♤♤39♤♤♤♤
दू प्रेमक तन्नुक ताग आब
वियाहेसँ हेतै मजगूत
समाजक आशीष पाबि कऽ
जोड़ी बनत अजगूत
♤♤♤40♤♤♤♤
गाम कतऽ अछि ताकि दिअ
नगर भेटैए बहुते ठाम
हेरा गेल संस्कार अपन सब
हेरा गेल अछि अपन नाम
♤♤♤♤♤41♤♤♤♤♤
हियाक नस नमारि हम
कहुना प्रेम अटेने छी
अहाँ रहै छी गुमसुम तैयो
प्रीतक आश लगेने छी
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राधा-कृष्णक प्रेम अपन
मात्र समर्पण भाव
मुदा मिलन सम्भव नहि
कंशक छै प्रभाव
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