♡♡♡43♡♡♡
अनचिन्हार बनल ई दुनिया
चिन्ह सकब नै लोककेँ
सऽर-कुटुम संग नाता ओहन
जेहन देह आ जोंककेँ
♡♡♡44♡♡♡
अकाससँ आगि बरसय
धरती उड़बय गर्दा
प्रेम विरोधी हवा सब ठाँ
लगा रहल अछि पर्दा
♡♡♡45♡♡♡
अपन जिनगी कहुना जीबी
अछि आहाँकेँ हर्जा की
संग चली वा एसगर रही
अहाँ करै छी चर्चा की
♡♡♡♡46♡♡♡♡
शिक्षक व्याकुल पाइ लेल
खूब भेलै हड़ताल
छात्रक अहितमे कऽ रहल
सरकारो रंगताल
♡♡♡47♡♡♡
सुनियौ छात्रक याचना
दियौ सुन्नर ज्ञान
अपने ताले नाच करब तऽ
फेर केहन सम्मान
♡♡♡♡48♡♡♡♡
एलै चुनावी मोसम आइ
उनटा बहल बसात
सब वरनक भोजमे
नेता टहलय पाते पात
♡♡♡49♡♡♡
भागि रहल छै गिरगिट सब
आबिते आब चुनाव
डर लगै छै, पड़ि ने जाए
नेताक दुषित प्रभाव
♡♡♡50♡♡♡
उज्जर कुर्ता कारी मोन
नेताके पहचान
अपने हितमे सोचय, तकर
कि मान कि अपमान
♡♡♡51♡♡♡
शीतल शोणित गरम करू आब
तोड़ि दियौ सब बन्हनकेँ
मातृभूमिक रक्षार्थ हेतु
त्यागि दियौ एहि जीवनकेँ
♡♡♡52♡♡♡
मातृभूमि मिथिला अछि अपन
कर्मभूमि मिथिले बनय
गामक उन्नति तखने सम्भव
प्रतिभा जखन गामे बसय
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें