प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

चरिपतिया-43-52



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अनचिन्हार बनल ई दुनिया
चिन्ह सकब नै लोककेँ
सऽर-कुटुम संग नाता ओहन
जेहन देह आ जोंककेँ

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अकाससँ आगि बरसय
धरती उड़बय गर्दा
प्रेम विरोधी हवा सब ठाँ
लगा रहल अछि पर्दा

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अपन जिनगी कहुना जीबी
अछि आहाँकेँ हर्जा की
संग चली वा एसगर रही
अहाँ करै छी चर्चा की


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शिक्षक व्याकुल पाइ लेल
खूब भेलै हड़ताल
छात्रक अहितमे कऽ रहल
सरकारो रंगताल

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सुनियौ छात्रक याचना
दियौ सुन्नर ज्ञान
अपने ताले नाच करब तऽ
फेर केहन सम्मान
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एलै चुनावी मोसम आइ
उनटा बहल बसात
सब वरनक भोजमे
नेता टहलय पाते पात

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भागि रहल छै गिरगिट सब
आबिते आब चुनाव
डर लगै छै, पड़ि ने जाए
नेताक दुषित प्रभाव

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उज्जर कुर्ता कारी मोन
नेताके पहचान
अपने हितमे सोचय, तकर
कि मान कि अपमान


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शीतल शोणित गरम करू आब
तोड़ि दियौ सब बन्हनकेँ
मातृभूमिक रक्षार्थ हेतु
त्यागि दियौ एहि जीवनकेँ

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 मातृभूमि मिथिला अछि अपन
कर्मभूमि मिथिले बनय
गामक उन्नति तखने सम्भव
प्रतिभा जखन गामे बसय


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