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शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

वर्णमाला : ल

बाल कविता-213
वर्णमाला : ल
'ल'सँ लाठी गाँधी जीक
बापू जिनकर नाम
अपने हाथक बीनल धोती
पहिरलनि जीवन तमाम

धेने लाठी सगरो घुमलनि
केलनि देश स्वतंत्र
सत्य, अहिंसा, प्रेम, समर्पण
ई छै जीतक मंत्र

तीन टा बानर गाँधी जीक
सदिखन एतबे कहत
देखू, बाजू, सुनू नै किछु
गलत बात जँ अभरत

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