बाल कविता- 214
वर्णणाला- व
'व'सँ वन, सुन्दर सन
जाहिमे दौड़य चारि हिरण
जकर राजा शेर भेलैए
हाथी घोड़ा भेड़ एलैए
बानर कूदय पात-पातपर
शेरक बेटा फेर भेलैए
भेलै हर्षित प्रजा अपन
'व'सँ वन सुन्दर सन
आम लताम खूब फरैए
बरहर जाम खूब पकैए
बैसल चिड़ैं गाछ-गाछपर
सुन्दर सुन्दर गीत गबैए
नाचय जंगल खूब तखन
'व'सँ वन सुन्दर सन
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