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शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2015

भगवती गीत- जहिया सँ चलि गेली

जहिया सँ चलि गेली छोड़ि कऽ मैया
जिनगी भेल दुखदाइ हो
जा ए भैयो ले आबऽ खबरिया
कहाँ छथि मोर माइ हो
ए भैरो कहाँ छथि मोर माइ हो

अंगना विरान भेलै, जग सुनसान हो
ममता के छाँह बिना, चलि जाएत प्राण हो
कोना रहब बिनु, स्नेह सुधा के-2
जहर बनल सब आइ हो
जा ए भैरो..........

सहलो ने जाइ ये दुख, कहलो ने जाइ ये
माँ के आशीष बिना, रहलो ने जाइ ये
दशमी के दिन जा कऽ, बिसरि गेलौं मैया-2
ककरा लग हम जाइ हो
जा ए भैरो ........

जल्दीसँ जा कऽ कहू, माँ के ई बतिया
पैरवी करू  माफ, करथिन गलतिया
नितेश पाठक कहय, दर्शन खातिर
और कतेक बौआइ हो
जा ए भैरो...........

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