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शनिवार, 16 जून 2018

डोलि रहल नै पत्ता (बाल कविता)

5.02 डोलि रहल नै पत्ता

घरसँ बाहर लू चलै छै
डोलि रहल नै पत्ता
गाम-घर सभ ठाम भेल छै
आब गर्मी केर सत्ता

गर्मीसँ मुरझा रहल छै
गाछक कोमल पत्ता
पोखरि-झाँखरि से सुखल छै
सुखि गेल छै खत्ता

बुन्नी बनि क' घाम चुबै छै
भीजल कपड़ा लत्ता
लिखा-पढ़ी बन्द भेल छै
गलि गेल छै गत्ता

स्कूलक टास्के सन बढ़ै छै
आब गर्मी केर भत्ता
पाकल केश अकास लागै छै
करिया मेघ निपत्ता

मौसमसँ बलजोर नीक नै
कहलनि सरजी दत्ता
सभ किओ खूबे पानि पीबू आ
निकलू ल' क' छत्ता

©अमित मिश्र

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