5.06 नटखट कृष्ण कन्हैया
गोपी सभकेँ खूब सताबय
संग बलदाऊ भैया
नटखट कृष्ण कन्हैया
दही चोरा क' चोर कहाबय
नामी मक्खन चोर
तालापर ताला लागल होइ
बचै नै मिसरी थोड़
पकड़ि सकल नै कोनो सिपाही
खाली हैया दैया
नटखट कृष्ण कन्हैया
खेलधूपमे समय बिताबय
ग्वाल-बाल केर संग
मटकि फोड़य पानि बहाबय
सभकेँ करय तंग
बंशी बजा बजाबय सभकेँ
नाचय ता ता थैया
नटखट कृष्ण कन्हैया
गोपी सभ संग रास रचाबय
बनि क' चुनरी चोर
तैयो सभक प्राण प्रिय छथि
हरि क' विपदा घोर
सत कर्म बेसी बदमासी कम
तेँ ने जग रखबैया
नटखट कृष्ण कन्हैया
© अमित मिश्र
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