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मंगलवार, 13 अगस्त 2019

माँछसँ बतियेबै

बाल कविता- 5.35
माँछसँ बतियेबै

मेला देखअ मम्मी संगे
गंगा कातमे जेबै हम

गंगा जीक कनकन पानि
चुभकि-चुभकि नेहेबै हम

चढ़ि नाहपर मम्मी संगे
बीच धार धरि जेबै हम

कछुआ संगे खेल खेलेबै
माछसँ बड बतियेबै हम

भरि दिन खूबे मस्ती करबै
साँझे घर घुरि एबै हम

©अमित मिश्र

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