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सोमवार, 10 जून 2013

जड़ि

81. जड़ि

ऑपरेशन थियेटरक बाहर पत्नी स्ट्रेचरपर पड़ल छथि आ पति सिरमामे ठाढ़ ।पत्नी कहै छथि " हमरा छोड़ि दिअ अहाँ ।केंसरक इलाज बड मगह छै ।मरैए दिअ ने ।"
पति पत्नीक उधियाइत केशपर आँङुर नचबैत "कोना छोड़ि देब अहाँकेँ ? अहाँ टाकाक चिन्ता जुनि करू ।खेत-पथार बेचि बाचि अहाँक इलाज कराएब ।"
" बिमरियाह देहक कोन ठेकान ? कखन छै, कखन नै ।टाका रहत तँ बाल-बच्चाक भविष्य बनि जेतै ।दू आखर पढ़ि-लिख लेत ।" पत्नी कुहरैत कहलनि ।
पति स्ट्रेचर भीतर लऽ जाइत बाजल "अहीं नै रहब तँ बाल-बच्चाक भविष्य कोना बनतै ? अहाँ घरक जड़ि छी ।जँ जड़िये सूखि जेतै तँ फल-फूल कोना लागतै ?अहाँकेँ एहि बगैचाक लेल जीबऽ पड़त . . . ।
ऑपरेशन शुरू भऽ गेल छल ।

अमित मिश्र

2 टिप्‍पणियां:

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    धन्यवाद

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