आइ मैयाक दरबारमे विदाइ गीत गेबाक योजना अछि ।
करब ने विदाइ तोहर महामाइ
तूँ हीं बात बताबें, सत बाट देखाबें
तोरा बिन जिनगी दुखदाइ
करब ने विदाइ तोहर महामाइ
एक सालकेँ बाद हे जननी तूँ एलें हमर गाम सुने
यदि छोड़ि कऽ चलि जेबें दुर्गा भऽ जेतै विधना बाम सुने
बस नोर खसत आ प्राण छुटत सहि सकबै नै ई जुदाइ
करब ने . . . . .
फूल अरहुल शेफालिका कानि रहल, धूप बातीक छाती फाटि रहल
देख नारियल माँथ पटकि रहल, किओ ककरो दुख नै बाँटि रहल
घी अलगे कानय आगि अलगे कानय कोना हवणक ज्वाल जराइ
करब ने . . . . .
आबिते उदयन घर तृप्त भेलै एकरा ने सून विरान करू
कर जोड़ि अरजि करैए "अमित" घर आँगन नै सुनसान करू
बिनु माइ संतान कोना जियत एतऽ एकर नै कोनो भरपाइ
करब ने विदाइ . . .
अमित मिश्र
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