गीत
हे शारदे मातेश्वरी, स्वीकार मम वन्दना करू
आइ वसंत पंचम तिथिमे माँ, स्वीकार मम अर्चना करू
छी दुख भवरमे बहि रहल,
अज्ञानतामे दहि रहल
अन्हार घर इजोत कऽ, संगीत केर रचना करू
अछि पुत्र टुगर बनि रहल,
ई जानि चुप्पे रहि रहल
सब दिससँ लचरल दीनकेँ, अहाँ तऽ नै अदना करू
सब ठाढ़ मिलि अनुनय करी,
बेर बेर एक्कहि विनय करी
हे हंसकेँ आदेश दऽ, प्रस्थान मम अंगना करू
अमित मिश्र
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