प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

रविवार, 24 मई 2015

गीत- धरती संगे डोलि रहल

धरती संगे डोलि रहल भय भरल हियाक गाम सुनू
विहवल पूत छै आश लगौने जपैत अहाँक नाम सुनू

रहि रहि कऽ डोलय धरती गाम शहर शमसान बनल
औरदा जकर बचल छलै तकरो तनमे नै प्राण बचल
पाथर बरसय आसमानसँ टूटय कुटिया तमाम सुनू
विहवल पूत................

दौड़ि दौड़ि कऽ एलौं जननी आइ नुकाइ लए आँचरमे
हेरि रहल छी ममता अहाँक मंदिरके एहि पाथरमे
लागि रहल अछि परलय हेतै, अंतिम हमर प्रणाम सुनू
विहवल..................

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें