गीत
जाति-पाति केर बन्हन तोड़ू, तोड़ि दिऔ देवालके
नेहक झड़ना बहय एना, जेना भारत और नेपालके
एक हवामे साँसो लै छी, एकै उपजा-पानी छै
एक तरहसँ जनम जुआनी, एकै मरण कहानी छै
एक देव केर रचल छी सब किओ, जगह ने आन सवालके
नेहक झड़ना बहय.................
एक गगन छै एक छै चन्ना, एकै वर्षा रानी छै
एक धारा केर पूत छी तखन, जातिक बाँट बैमानी छै
एक ठाम भऽ अहाँ मिलाबू, युग निर्माणक तालके
नेहक झड़ना बहय...........
देशक हेतै विकास यौ मीता, संगे डेग बढ़ेबै जँ
संघक शक्ति बढ़तै तखने, सबके संग मिलेबै जँ
देखा दिऔ निज शक्ति सबके, बदलि दिऔ पथ कालके
नेहक झड़ना बहय...........
अमित मिश्र
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