ऐ बोतल तेरे बन्दे हम , ऐसे हो हमारे करम
पन्नी को पियें, दारू से जियें
पीते पीते रहें रोज रम
ऐ बोतल तेरे बन्दे हम ............... ........|| 1 ||
ये नशा हैं अजब छा रहा
धिरे धिरे जो कश जा रहा
लें गाँजा के धुयें, मस्तीमे हम झूमें
झूमे मेरे संग दुनिया सनम
ऐ द।
ऐ बोतल तेरे बन्दे हम ............... ........|| 2 ||
एक जन चार चार दिख रहा
साकी संग बोतल क्यों हिल रहा
टेवल कुर्सी हिले, पूरी धरती हिले
भूले अशोक अमित के हर गम
ऐ बोतल तेरे बन्दे हम ............... .......
* यह रेकार्ड हो चुका है
स्वर अशोक अलवेला
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