बाल कविता-240
बेलचन रौ
बेलचन बेलचन बेलचन रौ
चलें बनै छी रेल सन रौ
कपड़ा- लत्ता रंग विरंगी
आबें बनि क' डिब्बा संगी
फाड़ें कोपी टीकट बनबें
आंगन- बाड़ी सगरो घुमबें
झटपट बनि जो मेल सन रौ
बेलचन बेलचन बेलचन रौ
करिया टोपी करिया कोट
टीटी बनि निकालें खोट
बिन धुइयाँ के मारें सीटी
बेचना इंजन मोहना टीटी
खेलें एकरा खेल सन रौ
बेलचन बेलचन बेलचन रौ
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