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मंगलवार, 7 जून 2016

सारा परक तुलसी

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सारा परक तुलसी

- बाबू अपन कलम बाग बेच दहक ।
-से किए रौ ?
-हमरा टाकाक खगता अछि ।दरभंगामे 30 लाखक कट्ठा जमीन द' रहल छै सएह किनबैं ।
- एँ रौ, अपने रहै छें दिल्ली आ जमीन लेबें दरभंगामे !एना किए ?
- हौ बाबू, तूँ सब किछ नै बुझै छहो ।ओत' घर बना भाड़ापर लगा देबै ।बड प्रॉफिट छै एहिमे।
- वाह रे , कहबी छै ने जे पूत कपूत भयो त' कालक डर गयो ।गाममे हवेली भकोभण्ड पड़ल छौ आ शहरमे फाइबस्टार ठाढ़ करता बुड़िबान नहितन ।कियो सारा परक तुलसी उपाड़ि आंगनमे रोपलकैए जे तूँ सोचि लेलहीं ई सब ।
- ई की सारा- तारा सब बकि रहल छहो ।किछ माँथमे नै घुसलै ।
- ते ने तोरा बकलेल कहै छीयौ ।गाममे अरजल सम्पतिकेँ मरघट पहुचा क' शहरक रमन-चमन किनब नीक बात नै ।आबि जो अपन माँटिपर ।मरनासन्न पड़ल ई बाप आ एतुका सम्पतिपर उगल अशा रूपी तुलसीकेँ जुनि उपाड़ ।

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