- हाइ रे दैवा, आइ मरदाबा साँझे कोना आबि गेलै !
- हे गै आइसँ दारू बन्द भ' गेलै ने तेँ...
-ले बलैया, ई सरकरबो हमरे टेंशन बढ़ा देलकै ।एकरा कतौ पीने बिना रहि हेतै जे ।
-तेँ ने आइ जल्दीए तोरा लग आबि गेलियौ गै ।
-हम कोनो दारू रखने छीयौ जेँ तोरा पिया देबौ ।
-त' तोरा मने की ।तोहर पिरेममे जते निशा छै तते सार ई दारूओमे कहाँ छलै ।देखलहीं ने झख मारि क' तोरे लग आब' पड़लै ...आ ने कने पिरेम क' लै छीयै...धियापुता बड पैघ भेलौ..एगो टेहलुक चाही कि ने ।
-मार बाढ़नि ।सत्ते मरदाबा बौरा गेल छै ।आर-दर बाजि रहल छै ।
ई कहिते कहिते मौगियाक श्यामला गाल ललिया गेल छलै ।
गुरुवार, 9 जून 2016
लप्रेक
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें