पुण्य-पाप
किछु लोक एहनो होइ छथि, जे
अपन थारीक रोटी बाँटि दैत छथि
किछु एहनो लोभी होइत छथि, जे
करोड़ो थारीक रोटी घटोसि जाइत छथि
किछु फूसि बाजि मस्तीमे जीबैत छथि
किछु सत्त बाजैक लेल मारल जाइत छथि
किओ निर्दोष रहितो जनातासँ नुकाइत छथि
किओ दोषी रहितो जनतासँ समर्थन पाबै छथि
किओ घोटालासँ पीड़ीत भऽ जाइत छथि
किओ घोटाला-रोगसँ पीड़ीत रहै छथि
भगवान पलड़ा बराबर करैत रहै छथि
तें पुण्यक संग पाप करबैत रहै छथि
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