बाल कविता-8
जादूइ डिब्बा
कक्काकेँ तीलकमे देलकै
भरिगर सन चाभीकेँ छब्बा
अर्तन-बर्तन ललका फटफटिया
संगमे एकटा जादूइ डिब्बा
छोट डिब्बामे बड लोक पैसल
बाजै छल सब बहुते भाषा
खरहा ,शेर आ बहुते जानबर
करै छल अजबे खेल तमाशा
किओ गाबै ,किओ नाचै छल
किओ मारै ,किओ मारि खाइ
टेढ़-बकुच्चा मुँह केने काटून
खा लड्डू गगनमे उड़ि जाइ
डर लागै मुदा नीक लागै छल
डिब्बा लऽग सटि कऽ बैसलौं बढ़ि
बाबू दबारलनि आगू नै बैस
नै तँ जेतौ आँखिपर चश्मा चढ़ि
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