इस खता केलिए तुम्हे क्या सजा दें
खुशी-गम समझे बिना कैसे जता दें
स्याही जब प्रेम बन छप गया दिल पर
तब तुम्ही कहो, पलक झपते कैसे मिटा दें
तुम्हारे हँसी का एग्रीमेन्ट कैसे दिखा दें
जो खुद दुआ है, उसे क्या दुआ दे
कुछ तो कारण रहा होगा दामन छुड़ाने का
वरना यूँ हीं भाग्य विधाता को कैसे भुला दें
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