विहनि कथा--कोरा
काल्हि भोरे कनियाँ सँ मूहाँ-मूँहीँ भ' गेल छल ।साँझ मे आँफिस सँ एलौँ त' देखलौँ कनियाँ हमर घर सून क' नैहरक शरण ल' लेने छलथि तेँए दुआरे आइ भोरे चाहक दोकान पर चाह पिब' आब' पड़ल ।दोकानक पिछू भांगक अनेरूआ गाछ पसरल छलै । दोकान पर एलौँ त' देखलौँ जे ओहि भांगक खेत मे भीड़ लागल छलै ।सही बात जानबाक इच्छा सँ भीड़ मे हमहूँ शामिल भ' गेलौँ ।एकटा गाछक छाहरि मे एकटा नवजात नेना ,जेकर शरीर पर एखनो खून लागल छल . कंठ फाड़ि क' कानै छलै । ओ के छल से ककरो पता नै छलै? जतेक मुँह ततेक बात । एक आदमी बाजल जे फल्लाँ बाबूक बेटीक पाप छै , आ फेर ओहि नेनाक बात नै क' ओकर जननीक आचरणक बात कर' लागल ।रौद गरम भ' रहल छलै आ बच्चा और जोर सँ कान' लागल छलै ।गामक नामी लोक सब ओकरा पाप कहि छूबै सँ भागै छलथि ।हमरा मोन भेल जे एकरा भूख लागल हेतै तेँए दूध पिया दी मुदा समाजक डरे मोनक बात मोने रहि गेल ।आश्चर्य होइ छल जे जननी त' जननीये होइ छै ,वियाह सँ पहिले वा वियाहक बाद , जँ माँ बनल त' माएक करेज त' माएके हेबाक चाही । माएक जे कर्तव्य छै से पूरा करबाक चाही । मुदा एत' माता कुमाता भ' गेल छथि ।
ओ माँ अपन खून के एना किए छोड़ि देलक एकर जबाबो जल्दीये भेँट गेल , कारण साफ छल इ समाज । तखने एकटा भिखमंगा के टोली ओत' रूकल ।ओहि मे सँ एकटा स्त्री के रहल नै गेलै आ ओ आगू बढ़ि ओहि नेनाके अपन करेज सँ साटि लेलक । नेनाक कननाइ बंद भ' गेलै । अनाथ के माएक ममता भेट गेलै ।एखन समाजक अमीर ठिकेदार सबहक मानबता आ ममत्व के ललकाइर रहल छल ओहि गरीब भिखमंगनी के मैल कोरा । ।
bahut sundar marmik katha..
जवाब देंहटाएंएहि रचनापर अपन टिप्पणी देबाक लेल शादर धन्यवाद, आनन्द जी ।
हटाएंबहुत नीक रचना, आ ऐ रचनाक द्वारा समाजक व्यवस्था आ रीति-कुरीति पर तीक्ष्ण कटाक्ष प्रशंसनीय ...... "आश्चर्य होइ छल जे जननी त' जननीये होइ छै ,वियाह सँ पहिले वा वियाहक बाद , जँ माँ बनल त' माएक करेज त' माएके हेबाक चाही । "
जवाब देंहटाएंएते सुन्दर टिप्पणी दऽ उत्साह बढ़ेबाक लेल अपनेक आभारी छी, झा जी ।
हटाएंएहि रचनापर अपन टिप्पणी देबाक लेल शादर धन्यवाद, आनन्द जी ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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