इस प्यार को क्या नाम दूँ?
जो हम दोनों के बीच
मंथर चल से प्रतिपल
वर्षों से चलता आ रहा है
वो भी बिना एक-दूसरे को देखे
पत्तों में कम्पन के साथ
काँप उठता है दिलों का तार
और आस-पास गुंजने लगता है
नयापन लिए अद्वितिय कोई राग
रातों को करबटें बदलते
अकेले में दुआ किया जाता है
एक-दूसरे के खुशी के लिए
हम तड़प उठते हैं मिलने को
पर पता है हम दोनो को, की
हमरा मिलन इस मे क्या
हर जनम मे असम्भव है
आखिर कल्पना को सच होने की संभावना
बिल्कुल शुन्य है,
फिर भी हम चहना चाहते हैं
तुम्ही बताओ
इस प्यार को क्या नाम दूँ ?
शुक्रिया आप का ।हलचल अच्छा लगा ।शामिल होने का प्रयास रहेगा ।
जवाब देंहटाएंप्रत्येक भावना को नाम देना संभव ही नहीं!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने प्रतिभा जी ।भावनाओं को समझ सकते हैं पर नामकरण करना कठिन है ।धन्यवाद
हटाएंबिल्कुल सही कहा आपने प्रतिभा जी ।भावनाओं को समझ सकते हैं पर नामकरण करना कठिन है ।धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहर भावना अनाम ही तो होती है,,नाम न दें तो है अच्छा है इसे अनाम ही रहने दें.
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha aapne sir. dhanyawad
हटाएंशुक्रिया आप का ।हलचल अच्छा लगा ।शामिल होने का प्रयास रहेगा ।
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