बाल कविता-65
जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि
बरसै नैना धड़कै छाती अगबे ममता ढारि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि
पातर ठाढ़ि बड लच-लच लचकै
घौनगर पातमे किछु नै झलकै
डाँरकडोरि फँसतौ कपड़ो फाटतौ
चर्र-चर्र कड़-कड़ सूनि मोन हहरौ
दहाड़ैत एलै पुरिबा पवनक बाढ़ि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि
जुनि छेड़ मधुर बँसुरिया केर धुन
गोपी-ग्वाल एतौ झुण्डक झुण्ड, सुन
सब लुधकत सबटा ठाढ़ि-पातपर
बढ़तै बड ओजन गाछक गातपर
टूटि खसतै लऽ तोरो सबटा ठाढ़ि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि
उतर, देबौ तौला माखन-मिश्री
उख्खरि नै बान्हबौ, नै कोनो फँसरी
नै उतरबें तँ सत्ते रूसबौ हमहूँ
बाबा, ताऊ, आ ने बतियेबौ हमहूँ
समेबौ यमुना केर छाती फारि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि
अमित मिश्र
जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि
बरसै नैना धड़कै छाती अगबे ममता ढारि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि
पातर ठाढ़ि बड लच-लच लचकै
घौनगर पातमे किछु नै झलकै
डाँरकडोरि फँसतौ कपड़ो फाटतौ
चर्र-चर्र कड़-कड़ सूनि मोन हहरौ
दहाड़ैत एलै पुरिबा पवनक बाढ़ि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि
जुनि छेड़ मधुर बँसुरिया केर धुन
गोपी-ग्वाल एतौ झुण्डक झुण्ड, सुन
सब लुधकत सबटा ठाढ़ि-पातपर
बढ़तै बड ओजन गाछक गातपर
टूटि खसतै लऽ तोरो सबटा ठाढ़ि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि
उतर, देबौ तौला माखन-मिश्री
उख्खरि नै बान्हबौ, नै कोनो फँसरी
नै उतरबें तँ सत्ते रूसबौ हमहूँ
बाबा, ताऊ, आ ने बतियेबौ हमहूँ
समेबौ यमुना केर छाती फारि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि
अमित मिश्र
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