गजल-1.75
भरि भरि दिन अपने सन नीक काम दऽ गेलौं
निज आँचरकेँ छाहरिमे अराम दऽ गेलौं
जाइत जाइत बडका टा इनाम दऽ गेलौं
हमर नाम संगे अपन नाम दऽ गेलौं
चोरायल बातक परतपर परत खुलै अछि
चुँकि भाषण दू बगली ठाम ठाम दऽ गेलौं
अपने गलतीपर हम आइ कानि रहल छी
छल नेहक जे जे चिट्ठी तमाम दऽ गेलौं
दू टा प्रेमक टोला आगिमे जरि जैतै
गप बढ़ितै ताहिसँ पहिने विराम दऽ गेलौं
2222-2221-2122-2
अमित मिश्र
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