1.83
आगिसँ आगि धरै छै बड
बातसँ बात बढ़ै छै बड
मिल जुलि करब तँ उसरत सब
हाथसँ हाथ जुटै छै बड
रहियौ संग अहाँ केवल
मीतसँ मीत बनै छै बड
मरुथल सजत घरसँ पलमे
लोकसँ लोक बढ़ै छै बड
फैसन कम कर धीया लऽग
दीपसँ दीप बरै छै बड
ककरा कहब "अमित" सब दुख
दर्दसँ दर्द हँसै छै बड
2221-1222
मफऊलातु-मफाईलुनअमित मिश्र
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