2.19
हमर रचना एखन धरि काँच अछि
मुदा जे अछि से सब टा साँच अछि
अहाँ उगलै छी ज्वाला बाटपर
हमर घर शब्दक लहरल आँच अछि
पिछरि रहलै रिश्ता मनुखक बहुत
लगै छै सगरो समतल खाँच* अछि
रसे-रस रथ घुसकत मिथिलाक यौ
अहाँ सिखबू बरु पाठक पाँच अछि
हमर नामे सप्पत खा ले "अमित"
हमर सत हमरे झूठक जाँच अछि
*खाँच= खाधि ।चेनकेँ नचेबाक लेल पैडिलक जेहन बनाबट होइत अछि ।
1222-2222-12
अमित मिश्र
हमर रचना एखन धरि काँच अछि
मुदा जे अछि से सब टा साँच अछि
अहाँ उगलै छी ज्वाला बाटपर
हमर घर शब्दक लहरल आँच अछि
पिछरि रहलै रिश्ता मनुखक बहुत
लगै छै सगरो समतल खाँच* अछि
रसे-रस रथ घुसकत मिथिलाक यौ
अहाँ सिखबू बरु पाठक पाँच अछि
हमर नामे सप्पत खा ले "अमित"
हमर सत हमरे झूठक जाँच अछि
*खाँच= खाधि ।चेनकेँ नचेबाक लेल पैडिलक जेहन बनाबट होइत अछि ।
1222-2222-12
अमित मिश्र
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