गजल-2.33
नव प्रीतमे चुलबुला लिअ
हम गीत छी गुनगुना लिअ
ई द्वन्द मोनक कखन धरि
उत्तर गजलके बना लिअ
दुखकेँ घटा बरसि जेतै
चिट्ठी हियामे सटा लिअ
जरि जरि मरत सभक दुश्मन
बस अधर मुस्की सजा लिअ
नै नेह ककरो बपौटी
तेँ अमित गंगा नहा लिअ
2212-2122
नव प्रीतमे चुलबुला लिअ
हम गीत छी गुनगुना लिअ
ई द्वन्द मोनक कखन धरि
उत्तर गजलके बना लिअ
दुखकेँ घटा बरसि जेतै
चिट्ठी हियामे सटा लिअ
जरि जरि मरत सभक दुश्मन
बस अधर मुस्की सजा लिअ
नै नेह ककरो बपौटी
तेँ अमित गंगा नहा लिअ
2212-2122
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