बाल कविता- 251
सिरमामे
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बौआ बौआ कौआ बाजल, भोरे भोरे सिरमामे
गाबि पराती खूब सुनेलक, उड़ि उड़ि क' सिरमामे
फूल फुलेलै सुन्दर सुन्दर, उगलै सूरज सिरमामे
चान-तरेगण टाटा केलकै, आबि आबि क' सिरमामे
काँच बबूरक दतमनि राखल, बौआ लेल सिरमामे
सेव बेदाना अंगूर सेहो, राखल देखू सिरमामे
राम राम क' सुग्गा एलै, फेर जगाब' सिरमामे
मामता भरल बोल सुनाबै, माइयो एखन सिरमामे
मुदा घुमै छै सपन लोकमे, बौआ एखन सिरमामे
दुनिया भरिक चिन्ता नै छै, तें छै सुतल सिरमामे
गुरुवार, 26 जनवरी 2017
सिरमामे
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