बाल कविता-255
हमर गाम
सबसँ सुन्दर हमर गाम
जत' पाकै छै मिठगर आम
ठंढा ठंढा हवा चलै छै,
आंगनकें गमकाबै ।
गाछी-बिरछी कोइली रानी,
सुन्दर गीत सुनाबै ।।
हरियर बाध लागै छै सुन्दर,
सबकेँ मोन लोभाबै ।
सब आरिपर चरबाहा सब
महिस-गाय चराबै ।।
भोरे भोरे चिड़िया रानी,
गीत पराती गाबै ।
तरकारी ल' सब कुजरनी,
घरे घरे आबै ।।
भरि दिन सब काज करै छै,
राति करै छै सब आराम,
बहुते सुन्दर हमर गाम
अमित मिश्र
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