प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

सबसँ सुन्दर हमर गाम

बाल कविता-255
हमर गाम

सबसँ सुन्दर हमर गाम
जत' पाकै छै मिठगर आम

ठंढा ठंढा हवा चलै छै,
आंगनकें गमकाबै ।
गाछी-बिरछी कोइली रानी,
सुन्दर गीत सुनाबै ।।

हरियर बाध लागै छै सुन्दर,
सबकेँ मोन लोभाबै ।
सब आरिपर चरबाहा सब
महिस-गाय चराबै ।।

भोरे भोरे चिड़िया रानी,
गीत पराती गाबै ।
तरकारी ल' सब कुजरनी,
घरे घरे आबै ।।

भरि दिन सब काज करै छै,
राति करै छै सब आराम,
बहुते सुन्दर हमर गाम

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें