कुछ शेर
1 आँखों की जरुरत हीं क्या है
दर्द तो दिल से महसूस किए जाते हैं
2मिलने की जल्दी हीं क्या है प्रेम के बाजार मेँ
जीने का तो मजा है केवल लम्बे इंतजार में
3खुशी तो तब होगी जब तुम्हारा साथ होगा
बरना जन्नत मेँ भी दोखज सा असर होगा
4कैसे आशिक हो जो पत्थरों से डर जाते हो
अरे पत्थरोँ की चोट खाकर हीं मजनू अमर हुआ
5हुश्न और शोहरत तो चढ़ता सूजर है
कुछ पल के बाद पहले सा उतर जाएगा
6बढ़ती आबादी ने कुछ इस कदर कहर बरपा है
कि दफन होने के लिए जमीं का दो गज टुकड़ा भी न बचा
7नये जमानो सबसे बड़ी खामियाँ यहीँ है यारो
की बिना पैसे के मौसम भी सुहाना नहीँ होता
अमित मिश्र
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