सालक पहिल दिन पावसक आगमन
आमोद सँ भैर गेल तन-मन
वसुन्धरा के कण-कण तृप्त भेलै
गाछक पात सिँचित भेलै
सबहक रोआँ भिज गेलै
जमल गर्दा बहा लs गेलै
शुभ काज मे जौँ वर्षा भs जाए
तs शुभ मानल जाइ छै
जानै छी वर्षा भेलै तs की केलकै
धो देलकै पुरनका पाप
बहा लs गेलै मोनक दम्भ
रसालक रस जीभ पर देलकै
तम भरल दिल अंशु सँ चमका देलकै
प्रेमक अंचल मे बैसल छी
आब "अमित" आदर्श मनुष्य छी . . .।
{अमित मिश्र}
आमोद सँ भैर गेल तन-मन
वसुन्धरा के कण-कण तृप्त भेलै
गाछक पात सिँचित भेलै
सबहक रोआँ भिज गेलै
जमल गर्दा बहा लs गेलै
शुभ काज मे जौँ वर्षा भs जाए
तs शुभ मानल जाइ छै
जानै छी वर्षा भेलै तs की केलकै
धो देलकै पुरनका पाप
बहा लs गेलै मोनक दम्भ
रसालक रस जीभ पर देलकै
तम भरल दिल अंशु सँ चमका देलकै
प्रेमक अंचल मे बैसल छी
आब "अमित" आदर्श मनुष्य छी . . .।
{अमित मिश्र}
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