13.मधुमाछी
उड़ि उड़ि चलै बाध बोन
नव नव सुमनपर बैसै छै
पीबि पीबि कऽ रस अनमोल
मीठ मीठ सुआद बनबै छै
ओ तँ कारी मधुमाछी छै
काँटकेँ चुमै छै , दर्द सहै छै
नीक नीक गप सब बतबै छै
छोट छत्तामे लाख लाख रहि
संग सबहक रहनाइ सिखबै छै
धुआँ कऽ ओकरा लोक भगाबै
तैयो ओ मीठ मधु बाँटै छै
मारि-गारि किओ कतबो करत
हम मीठ बाजब , सिखाबै छै
सत्तमे ओ तँ साधु मधुमाछी छै
अमित मिश्र
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