गजल-1.63
अपन जीवनक नै परिभाषा भेटलै
नफा बड कम मुदा बड घाटा भेटलै
सदति बड भेल छै घपला खैरातमे
भरल जे घैल चाही आधा भेटलै
विजय हेतै हमर साहस बहुत छल
मुदा बाटपर शकुनी मामा भेटलै
खसत सब हारि धरतीपर सीधे नभसँ
जखन सहयोग कम बड बाधा भेटलै
बनल विरहिन भटकि रहलै दुख बोनमे
भरल छल माँग जिनगी विधवा भेटलै
क्षणिक छै नेह आत्मा आ तनमे "अमित"
लगै जे प्रेमिकामे राधा भेटलै
फाइलातुन-फाइलातुन-मुस्तफइलुन
1222-1222-2212
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें