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शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013
भनसाघर खोल
बाल कविता-27
भनसाघर खोल
थारी पीट बजेबौ ढोल
नै खेबौ हम सन्ना ओल
दऽ दे चिन्नी-पानिक घोल
ओहिसँ हम भीजेबौ लोल
भूखे सूखल आँतक खोल
माँ जल्दी भानसघर खोल
झट दऽ छान तिलौरी गोल
वा पका दे किछु एग-रोल
अमित मिश्र
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