बाल कविता-52
भरिगर प्रश्न
माँ, माँ एगो बात बता दे
सपना कोना कऽ आबै छै ?
भरि राति तरेगण चमकै छै
भोर होइते कतऽ भागै छै ?
गर्मीमे किए गरम छै धरती ?
ठण्ढ़ामे सब जमि काँपै छै
जखन सबकें खूब बर्षा चाही
तखन किए पाथर बरसाबै छै ?
हम खाइ छी भात, सोहारी
पशु, पशुएकें भोजन बनबै छै
लोके फोड़ै छै बम आ गोली
की ? ओ इएह उपजाबै छै ?
छौ छोट मुदा छै भरिगर प्रश्न
बेटा, ई ककरो समझ नै आबै छै
भगवानक छै सबटा किरदानी
वएह सबटा काज करबाबै छै
अमित मिश्र
भरिगर प्रश्न
माँ, माँ एगो बात बता दे
सपना कोना कऽ आबै छै ?
भरि राति तरेगण चमकै छै
भोर होइते कतऽ भागै छै ?
गर्मीमे किए गरम छै धरती ?
ठण्ढ़ामे सब जमि काँपै छै
जखन सबकें खूब बर्षा चाही
तखन किए पाथर बरसाबै छै ?
हम खाइ छी भात, सोहारी
पशु, पशुएकें भोजन बनबै छै
लोके फोड़ै छै बम आ गोली
की ? ओ इएह उपजाबै छै ?
छौ छोट मुदा छै भरिगर प्रश्न
बेटा, ई ककरो समझ नै आबै छै
भगवानक छै सबटा किरदानी
वएह सबटा काज करबाबै छै
अमित मिश्र
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