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सोमवार, 13 मई 2013

चोर

बाल कविता-53
* चोर *

गाममे एलै एकटा चोर
किओ नै देखै ओकर गोर*
हवा बनि कऽ आबै छल
सबहक घरमे घूसै छल
दिन देखै नै राति आ भोर
चोरबै छल ओ सबहक नोर
सबकें खूब हँसेने जाए
तामस दूर भगेने जाए
नाम छल ओकर हँसी-खुशी
बचल नै गाममे किओ दुखी

*गोर = पएर
अमित मिश्र

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