बाल कविता-53
* चोर *
गाममे एलै एकटा चोर
किओ नै देखै ओकर गोर*
हवा बनि कऽ आबै छल
सबहक घरमे घूसै छल
दिन देखै नै राति आ भोर
चोरबै छल ओ सबहक नोर
सबकें खूब हँसेने जाए
तामस दूर भगेने जाए
नाम छल ओकर हँसी-खुशी
बचल नै गाममे किओ दुखी
*गोर = पएर
अमित मिश्र
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