बाल कविता-42
:D भोरक दृश्य :D
उठलै सूरज बनि कऽ आगिक थारी
पूब बनि गेल रक्तवदनक धारी
कोढ़ी खुलल आ भेल मुक्त भ्रमर
घास केलक मोती उगलैक तैयारी
जागल विहग वंश, गबैया सुग्गा
सूतल उल्लू कऽ कड़गड़ रतिजग्गा
बरदक मेहनति हऽरक संगमसँ
जोतने जाए कृषक लग्गा दू लग्गा
देश जागल नव उर्जा बिछने
चंचल भेल गाम ताजा हवा बहने
भाए भनसाघरक कर्म सम्हारथि
दौड़ल इस्कूल नेना मुस्कान लुटेने
नहुँ-नहुँ बढ़ल सुइया समयक
लाल नभ भेल श्वेत-श्याम रंगक
भोरक अनुपम दृश्य-सुमन देख
बाट जोहब फेर कल्हुका भोरक
अमित मिश्र
:D भोरक दृश्य :D
उठलै सूरज बनि कऽ आगिक थारी
पूब बनि गेल रक्तवदनक धारी
कोढ़ी खुलल आ भेल मुक्त भ्रमर
घास केलक मोती उगलैक तैयारी
जागल विहग वंश, गबैया सुग्गा
सूतल उल्लू कऽ कड़गड़ रतिजग्गा
बरदक मेहनति हऽरक संगमसँ
जोतने जाए कृषक लग्गा दू लग्गा
देश जागल नव उर्जा बिछने
चंचल भेल गाम ताजा हवा बहने
भाए भनसाघरक कर्म सम्हारथि
दौड़ल इस्कूल नेना मुस्कान लुटेने
नहुँ-नहुँ बढ़ल सुइया समयक
लाल नभ भेल श्वेत-श्याम रंगक
भोरक अनुपम दृश्य-सुमन देख
बाट जोहब फेर कल्हुका भोरक
अमित मिश्र
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