बाल कविता-43
:) चिराँइ बाजल :)
चीं चीं चीं चीं चिराँइ बाजल
खेलैत-खेलैत अंग-अंग थाकल
साँझ भेलै आब सूरज सूतल
लागल भूख पियासो जागल
सून भऽ गेल छै गाछी-चऽर
जाल फेकत शिकारी देख एसगर
चल चल चल झटकैत चल घर
हमरा बिनु लागैत हेतै माएकें डर
अमित मिश्र
बहुत सुन्दर बाल रचना
जवाब देंहटाएंइस कविता को पढ़ कर उत्साहवर्धक टिप्पणी देने केलिए हार्दिक धन्यवाद
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