बाल कविता-44
मोबाइलक जादू
ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन घण्टी बाजल
भुक भुक भुक भुक बाँल बरल
थर थर काँपैत जँहि-तँहि घुसकल
घर-बाहर खूब अनघोल मचल
कान सटा जे हैलो कहलौं
बाबूसँ खूब बात बतियेलौं
नानी नानाकें फोटो देखलौं
गीत, फिलिम देख खेला खेललौं
भेटल दुलार काकी -काकासँ
जे बैसल सात समुद्र पारमे
मोबाइल भरल कोनो जादूसँ
तें शामिल भऽ गेल भजारमे
अमित मिश्र
मोबाइलक जादू
ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन घण्टी बाजल
भुक भुक भुक भुक बाँल बरल
थर थर काँपैत जँहि-तँहि घुसकल
घर-बाहर खूब अनघोल मचल
कान सटा जे हैलो कहलौं
बाबूसँ खूब बात बतियेलौं
नानी नानाकें फोटो देखलौं
गीत, फिलिम देख खेला खेललौं
भेटल दुलार काकी -काकासँ
जे बैसल सात समुद्र पारमे
मोबाइल भरल कोनो जादूसँ
तें शामिल भऽ गेल भजारमे
अमित मिश्र
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