बाल कविता-81
बाट बरैत बत्ती
बाम कात धेने चलि जो तूँ
नेशनल हो वा गमैया बाट
नै तँ लागतौ धक्का कतौ
टूटतौ हड्डी धरबें खाट
होइते बत्ती टुहटुह लाल
जतै छें ओतै हो ठाढ़
होइते बत्ती लालसँ पियर
चलबा लेल भऽ जो तैयार
किछु पल चुप्पे बाट जोह आ
उनटा गिनती गाने सरकार
हरियरी जखने देखबौ बत्ती
झट दऽ चलि जो लक्ष्यक पार
बाट बरैत बत्तीकेँ देखें
जाने एकर सब बेबहार
खुशी भरल जीवन हेतौ आ
दुर्घटनारहित हेतौ संसार
अमित मिश्र
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